Shukra Mantra

Shukra Mantra :

हिंदू धर्म में, नवग्रहों में शुक्र का विशेष स्थान है। उन्हें प्रेम, सौंदर्य, विलासिता, कला, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है।

  • भौतिक सुख-सुविधा: शुक्र मजबूत होने पर व्यक्ति को भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
  • आकर्षक व्यक्तित्व: शुक्र का बल होने पर व्यक्ति आकर्षक व्यक्तित्व का धनी माना जाता है।
  • कलात्मक प्रतिभा: कला, संगीत, लेखन आदि से जुड़ी रुचि और प्रतिभा को शुक्र ही प्रभावित करता है।
  • प्रेमपूर्ण जीवन: शुक्र मजबूत होने से प्रेम संबंध सुखद और सफल रहते हैं।
  • वैवाहिक जीवन: शुक्र का शुभ प्रभाव वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है।

शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के उपाय (Ways to Please Shukra Graha)

  • शुक्रवार का दिन शुक्र को समर्पित किया गया है। इस दिन सफेद वस्त्र धारण करके माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करना लाभकारी होता है।
  • शुक्र से संबंधित चीजों का दान, जैसे सफेद वस्त्र, चावल, इत्र आदि करना शुभ माना जाता है।
  • “ॐ द्रां द्रां शुक्राय नमः” जैसे मंत्रों का नियमित जाप करना शुक्र को प्रसन्न करता है।
  • गायन, नृत्य, चित्रकला आदि कलात्मक गतिविधियों में रुचि लेना शुक्र ग्रह को मजबूत बनाता है।
  • शुक्र मंदिरों में दर्शन और पूजा भी लाभदायक साबित होती है।

मंत्र जप के लाभ (Benefits of Mantra Chanting)

  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: शुक्र मंत्र का जाप सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे मन शांत और सकारात्मक रहता है।
  • आत्मविश्वास बढ़ाना: नियमित मंत्र जप आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होता है, जो सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरी है।
  • कलात्मक प्रतिभा का विकास: शुक्र मंत्र का जाप कलात्मक प्रतिभा को निखारने और प्रेरित करने में भी सहायक हो सकता है।
  • प्रेमपूर्ण जीवन के लिए: शुक्र मंत्र का जाप प्रेमपूर्ण जीवन पाने और प्रेम संबंधों को मजबूत बनाने में सहायता कर सकता है।
Shukra Mantra
Shukra Mantra

ध्यान देने योग्य बातें (Important Points)

  • शुक्र मंत्र का जाप हमेशा साफ मन और श्रद्धाभाव से करना चाहिए।
  • मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए।
  • नियमित रूप से मंत्र का जाप करने से अधिक लाभ मिलते हैं।
  • मंत्र का जाप किसी शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए।

Shukra Mantra :

पौराणिक मंत्र

ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।

शुक्र गायत्री मंत्र : “ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्” ।।

शुक्र बीज मंत्र : ऊँ शुं शुक्राय नम:

वैदिक मंत्र : ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति: ।

तांत्रिक मंत्र :

ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
ऊँ वस्त्रं मे देहि शुक्राय स्वाहाशुक्र एकाक्षरी बीज मंत्र ||

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