Maa Kali Mantra :
माँ काली को शक्ति और परिवर्तन की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनका रूप भयंकर और उग्र है, जो अज्ञान, अहंकार और बुराई को नष्ट करने का प्रतीक है। उनके हाथों में तलवार बुद्धि का प्रतिनिधित्व करती है, कपाल अहंकार का नाश दर्शाता है, और खोपड़ियों की माला मृत्यु को जीतने का संकेत देती है। उनके दाहिने हाथ में अभय मुद्रा भक्तों को निडरता प्रदान करती है और वरद मुद्रा आशीर्वाद का प्रतीक है। माँ काली को आदि शक्ति भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है सभी शक्तियों की मूल स्रोत।
माँ काली मंत्र के जाप के लाभ (Benefits of Chanting Maa Kali Mantra)
माँ काली के मंत्र के जाप से कई लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- आंतरिक शक्ति और साहस प्राप्त करना: माँ काली अपने भक्तों को आंतरिक शक्ति और साहस प्रदान करती हैं, जिससे वे कठिनाइयों का सामना करने और चुनौतियों से पार पाने में सक्षम होते हैं।
- भय और चिंता दूर करना: माँ काली से प्रार्थना और उनके मंत्र का जाप भय और चिंता को दूर करने में मदद करता है, जिससे मन शांत और स्थिर रहता है।
- अज्ञानता और अहंकार का नाश करना: माँ काली काली अज्ञानता और अहंकार को नष्ट करने वाली मानी जाती हैं। उनके मंत्र का जाप मन को शुद्ध करने और ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होता है।
- संरक्षण और आशीर्वाद प्राप्त करना: माँ काली अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनका आशीर्वाद देती हैं। उनका मंत्र जपने से बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
- मनोकामना पूर्ति: माँ काली की सच्ची श्रद्धा से पूजा और मंत्र का जाप करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।
Important Points :
- माँ काली के मंत्र का जाप हमेशा शुद्ध मन और श्रद्धाभाव से करना चाहिए।
- मंत्र का उच्चारण सही होना चाहिए।
- नियमित रूप से मंत्र का जाप करने से अधिक लाभ मिलते हैं।
- मंत्र का जाप किसी शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए।
Maa Kali Mantra :
भद्रकाली मंत्र : ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥
काली मंत्र : ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥
काली बीज मंत्र : ॐ क्रीं काली
महाकाली बीज मंत्र : ॐ क्रीं कालिकायै नमः
तीन अक्षरी काली मंत्र :’ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं’
पांच अक्षरी काली मंत्र : ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्
सप्ताक्षरी काली मंत्र : ॐ हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा
मां काली का मंत्र : ॐ श्री कालिकायै नमः
काली मां का मंत्र : ”ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वा:”
पूजा हेतु काली मंत्र
”कृन्ग कृन्ग कृन्ग हिन्ग कृन्ग दक्षिणे कलिके कृन्ग कृन्ग कृन्ग हरिनग हरिनग हुन्ग हुन्ग स्वा:”
काली गायत्री मंत्र
“ॐ महा काल्यै छ विद्यामहे स्स्मसन वासिन्यै छ धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात”
दक्षिणकाली मंत्र :
ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥
क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥
ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥